पुत्र प्राप्ति का अचूक मंत्र

पुत्र प्राप्ति का अचूक मंत्र

पुत्र प्राप्ति का अचूक मंत्र, पुत्र प्राप्ति का अर्थ संतान प्राप्ति से होता है। बेटी और बेटे में फर्क करना किसी भी समाज के लिए गलत मान्यता को बढ़ावा देता है। इसके लिए वैदिक और ज्योतिष शास्त्र में कई उपाए बताए गए हैं, तो कुछ अचूक मंत्र भी दिए गए हैं। हालांकि इस संबंध में अपनाए जाने वाले कई तरह के टोटके गलत भी हो सकते हैं। इसलिए साधना, पूजापाठ, अनुष्ठान और मंत्र जाप के उपाय बहुत ही सावधानी एवं सतर्कता के साथ किए जाने चाहिए।

पुत्र प्राप्ति का अचूक मंत्र
पुत्र प्राप्ति का अचूक मंत्र

गणपति की आराधनाः संतान पाने के लिए इच्छा रखने वाली स्त्री को प्रतिदिन स्नान प्रातः के बाद ठीक सूर्योदय के समय भगवान गणेश की विधिवत पूजापाठ और मांत्रजाप के साथ आराधना करने की सलाह दी गई है। पूजा के लिए बेलपत्र का उपयोग विशेष तौर पर करना चाहिए। भगवान गणेश पर तीन बेलपत्र के साथ फूल और लड्डू चढ़ाने के बाद घी का दीपक जलाएं। नीचे दिए गए मंत्र का 11 माला जाप करें। इस पूजा को पूरे एक माह तक लगातार करने से संतान प्राप्ति की कामना निश्चित रूप से पूर्ण होती है। मंत्र इस प्रकार हैः-  ऊँ पार्वतीप्रिय नंदयान नमः!

बुधवार का उपायः संतान प्राप्ति के लिए यह उपाय पति-पत्नी दोनों के द्वारा किया जाता है। इसके करने से उनके द्वारा ली जाने वाली चिकित्सकीय सलाह से संतान प्राप्ति की संभावना प्रबल हो जाती है। बुधवार के दिन किए जाने वाले इस उपाय में भी भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने प्रणाम कर कुश का आसन लगाना चाहिए।

आपका मुख पूरब दिशा की ओर होना चाहिए। उनकी विधिवत पूजा के बाद नीचे दिए गए मंत्र का जाप किया जाना चाहिए। पूजा की शुरूआत प्रातः सूर्योदय के ठीक पहल साफ वस्त्रों में की जाती है। गणेश भगवान पर दूब चढ़ाने के बाद लड्डु का भोग लगाएं। कुल 108 बार उच्चारण के साथ मंत्र जाप हरे पन्ने की माला से करें। ऐसा सात बुधवार तक करें। मंत्र हैः-संतान गणपतयै नमः गर्भदोषहो नमः पुत्र पौत्राय नमः!!

ज्योतिषीय उपायः दंपति के संतान की संभावना उनके जन्म कुंडली से पता चलता है। कुछ की कुंडली में ग्रहों की स्थितियों के योग बन जाते हैं। उन्हें दूर करने के लिए वैदिक अनुष्ठान, हवन, दान और मंत्र जाप के उपाय किए जाते हैं। इनसे देवता प्रसन्न होते हैं और संतान की मनोकामना पूर्ण होती है।

यानी कि कुंडली में दोष निवारण कर पुत्र प्राप्ति संभव है। वैसे ज्योतिष के अनुसार सहवास और गर्भधारण के तरीके भी बताए गए हैं। निःसंतान दंपति को हरिवंश पुराण में वर्णित गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र हैः-

ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः!!

तुलसी की माला से प्रतिदिन इस मंत्र के जाप से पहले प्रातः स्नाना कर साफ वस्त्र में अपने घर के पूजा स्थल पर आसन लगाएं और 108 बार जाप करें। ऐसा एक माह तक लगातार करें।

कुछ अन्य साधारण उपाय

  • माघ शुक्ल षष्ठी को संतान प्राप्ति के लिए शितला षष्ठी का व्रत रखें। इसे कई बासियौरा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रातः स्नानआदि कर मां शितला देवी के षोडशोपचार के साथ पूजन किया जाता है बासी भोजन का भोग लगाकर खुद बासी भोजन ही ग्रहण किया जाता है।
  • ऋतुकाल अर्थात माहवारी के समय नागकेसर के महीन चूर्ण को गाय के घी में मिलाकर खाने से मनोवांछित संतान प्राप्ति की संभावना प्रबल बनती है।
  • एक विशेष जड़ी जटामांसी को उबले हुए चावल के पानी के साथ पीने संतान प्राप्ति का उपाय बताया गया है।
  • एक टोटका कुम्हार द्वारा बर्तन बनाने के समय मिट्टी काटने वालो डोरे से करें। उसे मंगलवार के दिन मांग लाएं। एक ग्लास में पानी भर कर उसमें डाल दें। कुछ समय बाद डोरे को निकाल लें और ग्लास का पानी पति-पत्नी दोनों पी लें। उसके बाद संभव हो तो पति-पत्नी सहवास भी कर लें। यह आजमाया हुआ टोटका है। गर्भ धारण होने पर डोरे को भगवान हनुमान के चरणों में अर्पित कर दें।
  • बार-बार गर्भपात हो जाने या गर्भधारण में आने वाली समस्य के समाधान के लिए डाक्टरी उपचार को प्रभावी बनाने के लिए मंगलवार के दिन लाल कपड़ा थोड़ा नमक बांधकर हनुमान के मंदिर में जाएं। नमक की पोटली को हनुमान के चरणों से स्पर्श करवाकर वपास आ जाएं। गर्भ धारण कर चुकी और के पेट से बांध दें। इस उपाय के बाद उसका गर्भपात नहीं होगा।
  • पुत्र अर्थात संतान की अभिालाषा स्वर्ण या चांदी से बने सूर्य यंत्र की स्थापना से भी पूर्ण हो सकती है। यह कार्य सोमवार की सुबह सूर्योदय से पहले स्नानआदि के बाद अपने पूजा स्थल पर कर लें। पूरब की स्थापित किए गए यंत्र के सामने बैठकर घी का चतुर्मुखी दीपक जलाएं और सूर्य देव को स्मरण कर सूर्य मंत्र का 108 बार जाप करें। जाप के समय दीपक की चारो बत्तियां जलती रहनी चाहिए। सूर्य मंत्र इस प्रकार हैः-

 ऊँ घृणिं सूर्य्यरू आदित्यरु

ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा!!

 ऊ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम

  • षष्ठी देवी का तीन माह तक पूजा अर्चना करने से मनोवांछित संतान की प्राप्ति होती है। इस पूजा के समय नीचे दिए गए मंत्र का 108 बार जाप के बाद षष्ठी चालीसा और षष्ठी देवी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। कथा स्वयं पढ़नी चाहिए या सुननी चाहिए।
  • संतान प्राप्ति में बाधा दूर करने और मनोवांछित संतान प्राप्ति के लिए विवाहिता को श्रावण शुक्ल एकादशी का पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिए। व्रत पूर्ण विधि – विधान के साथ ब्राह्मण के दिशा-निर्देश के अनुसार करना चाहिए।
  • संतान में देरी होने की स्थिति में विवाहिता द्वारा घर के पूजास्थल पर 21 तोले पारद शिविलिंग स्थापित किया जाना चाहिए। प्रत्येक सोमवार को सिर के बाल धोकर उसके पीठ पर फैले होने की स्थिति में पारद शिवलिंग का जलाभिषेक करें। ऐसा करते हुए ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। जलाभिषेक सात बार करें और उस जल को चरणामृत के रूप में ग्रहण करें। इस प्रकार की पूजा सोलह सोमवार को करने से पुत्र प्राप्ति की प्रार्थन का फल मिलता है। इसकी सफलता के लिए पति द्वारा स्त्री को कम से कम चार रत्ती की पुखराज की चांदी या सोने में आंगूठी पहनने को दें। इसे गुरु पुष्य नक्षत्र में जड़ावकर गुरु मंत्र द्वारा अभिमंत्रित कर पहनना चाहिए।

संतान दोष निवारण के उपाय