मन की शांति के उपाय

मन की शांति के उपाय

हमारे शरीर के कई अंगों से हम परिचित हैं,इन्हें हम देख सकते हैं,छू सकते हैं लेकिन इस शरीर के साथ ही हमें एक चीज और मिलती है .-हमारा मन। इस मन को हम देख नहीं सकते,बस महसूस कर सकते हैं। मन के लक्षणों में कहा गया है कि यह दुनिया में सबसे तेज गति से भागता है। अभी हिन्दुस्तान तो अगले ही पल अमेरिका। इसलिए इसे चंचल भी कहा गया है। हमारी समस्त गतिविधियां इस मन से ही संचालित होती हैं। मन मुताबिक काम हो तो जीवन खुशियों से भर उठता है और वहीं अगर मन के विपरीत काम करना पड़े मन अशांत हो जाता है। कई बार परिस्थितियां अनुकूल न हो,रिश्तों में उलझन हों,आर्थिक समस्या होतो मन अवसाद से भर उठता है। किसी चीज में मन नहीं लगता। मन की सकारात्मक और नकारात्मक कई अवस्थाएं होती हैं। किसी उपाय को आजमाने से इन अवस्थाओं को जानना आवश्यक है।

मन की शांति के उपाय
मन की शांति के उपाय

सकारात्मक अवस्था

जब अच्छी नींद आए। शरीर हल्का-फुल्का लगे। गाने-गुनगनाने,घूमने-फिरने का मन करे।

नकारात्मक अवस्था

निराशा-हताशा मन में निराशा व्याप्त हो जाना। इस अवस्था में ऐसा प्रतीत होता है मानों उम्मीद की कोई किरण बाकी न हो। मन चिडचि़ड़ा हो जाता है। कई बार अत्यधिक गुस्सा आता है। रोने का दिल करता है।

उद्वेलन-इस अवस्था में मन स्थिर नहीं रहता। जी करता है सामने वाले का सिर फोड़ दें,खुद का सिर दीवार से मार लें। इस स्थिति में लोग लगातार एक ही जगह चहल कदमी करने लगते हैं। किसी निष्कर्ष पर पहुंच पाना बहुत मुश्किल होता है। यहां तक कि इस अवस्था में मुनष्य एक स्थान पर बैठ भी नहीं पाता।

मन की शांति के उपाय

1जब जीवन में अशांति और उद्वेवल का दौर चल रहा है तब अपनी जीवनचर्या में थोड़ा सा बदलाव करें। अपने मन को किसी एक इष्ट पर केन्द्रित करें। जिन पर आपकी थोड़ी भी आस्था हो। अब सुबह होते ही मन ही मन उनके नाम का जाप या उनका बीज मंत्र जाप करना शुरू कर दें। यहां तक कि नित्य क्रिया के दौरान भी। सबसे अच्छा होता है सूर्य को स्वामी या पिता मान लेना। सुबह होते ही ओम सूर्याय नमः के जाप से प्रारंभ करें। बीच में परिवार के सदस्य से बात चीत भी करें। जैसे ही मौन की स्थिति हो फिर से शुरू कर दें नित्य सूर्य को जल चढ़ाएं। जल चढ़ाने के बाद उन्हें पिता समझते हुए अपनी समस्त परेशानी उनसे कह दें। निराकरण के लिए प्रार्थना करें। एक सप्ताह के प्रयास से मन में आ रही खीझ,गुस्सा,अशांति दूर हो जाएगी और आप समस्या के निदान के लिए सकारात्मक प्रयास करने की अवस्था में आ जाएंगे।

2अक्सर जब मन परेशानियों से धिरा होता है नींद नहीं आती है। आती भी है तो सुबह ऐसा लगता है मानो सोए ही न हों। रात भी अलग-अलग अजीब सपने आते हैं। सुबह कुछ भी याद नहीं रहता। ऐसा भी लग सकता है जैसे किसी से बात कर रहे हों। सुबह उठने का मन नहीं करता। सिर भारी रहता है। ऐसी स्थिति में बिस्तर और कमरा दोनों साफ सुथरा रखें। सोने से पहले हल्का खाना खाएं। अगर संभव हो तो सोने से पहले स्नान कर लें। सर्दी में कुनकुने पानी से और गर्मी में ठण्डे पानी से। सोते समय ढीले ढाले कपड़े पहने। बिस्तर पर जाने के बाद जिस समस्या से आप घिरें हो उस पर विचार न करें। अब सीधे लेट जाएं और ’शवासन’ की क्रिया करें। योगासनों में एक शवासन मन को शांत करने का अप्रतिम उपाय है और सरल भी है। इसमें सीधे लेटकर सबसे पहले अपने अंगूठे पर ध्यान केंन्द्रित करें। फिर धीरे धीरे टखने,घुटने,कमर,कंधा,गर्दन,मस्तक होते हुए दूसरी तरफ मस्तक,गर्दन, कंधा होते हुए अंगूठे तक पहुंचे। यह एक से दो क्रम में करते ही आपको नींद आ जाएगी। सुबह सिर भारी नहीं लगेगा। अनाप-शनाप सपने भी नहीं आएंगे।

3नित्य सुबह स्नान के बाद पांच मिनट अपने आराध्य को अवश्य दें। इस दौरान प्राणायाम अवश्य करें। प्रणायाम श्वासों पर नियंत्रण करता है। नकारात्मकता को बाहर लाती है और प्राण वायु भरती है।

मन को नियंत्रित करने के उपाय

हम समस्या में तब घिरते हैं जब मन को बेलगाम छोड़ देते हैं। हम जितना इसकी सुनेंगे यह और की डिमांड करेगा। अक्सर आपने सुना होगा कि दिल और दिमाग में जंग छिड़ जाना। यहां दिल मन की भूमिका में होता है। यानि बुद्धि कहती है कि -तुम्हारे पास मात्र सौ रूपये हैं इसे संभालकर रखो लेकिन मन या दिल कहेगा कि इससे दोस्तों के साथ चाट खाट लो या फिर अपने लिए कुछ खरीद लो। इस पैसे के खत्म होते ही आप समस्या से घिर जाएंगे। उस वक्त मन अफसोस जरूर करेगा लेकिन अगली बार फिर वही कहेगा। तो बेहतर यह है कि इस बेलगाम घोड़े को काबू में रखा जाए और अपनी मर्जी से इसकी सवारी किया जाए। यदि ऐसा हो जाए तो जीवन न्यूनतमम समस्याओं के साथ जीया जा सकता है। इसके कुछ तरीके हैं। दरअसल हमारा मन हम खुद प्रोग्राम करते हैं। जैसे कम्यूटर में प्रोग्रामिंग होती है। जरूरत इस प्रोग्रामिंग को बदलने की है। हैरानी होगी अगर आपसे यह कहा जाए कि आपका मन आपके हाथ में है, जैसा चाहेंगे वैसा ही मन होगा।

1       मन जब किसी विषय पर केन्द्रित हो जाता है,लगातार उसी के बारे में सोचता है । परिणामस्वरूप इसका असर गुणात्मक पड़ता है। दो से चार और चार से आठ होते देर नहीं लगती। ऐसे में मन को दूसरी तरफ लगाना बेहतर होता है। मन डायवर्ट करने के लिए संगीत सबसे अच्छा साधन है। मनपसंद संगीत सुनना,बागवानी करना,हल्की फुल्की मूवी देखना आदि।

2       जैसे ही निर्णय लेने की घड़ी आती है मन और बुद्धि दोनों अपने-अपने तर्क देते हैं। ऐसे में बुद्धि की सुनें। नुकसान नहीं होगा। वैसे हमेशा मन मारना सही नहीं है। मन की तभी सुनें जब उससे आपका या किसी और का तत्काल या दीर्घकाल में नुकसान न हो।

3       अपने चैबीस घंटों को कुछ इस तरह बांटे जिसमें आप खुद के लिए भी कुछ वक्त निकाल सकें। यह कुछ वक्त आप मेडिटेशन करने में,पुस्तक पढ़ने में या संगीत सुनने में खर्च करें। दिन में कम से कम आधा घंटा बिल्कुल अकेले रहें। यहां तक कि फोन भी पास न रखे। मन को पूरी तरह विचारों से खाली कर दें। ऐसा शुरू शुरू में करना मुश्किल होता है। लेकिन अभ्यास हो जाने पर दिक्कत नहीं होती।

4       नकारात्मक सेाच वाले लोगों से दूर रहें। नकारात्मक विचार अपने आस पास फटकने न दें। असफलता भी सफलता की ही एक कड़ी है,गरीबी भी अमीरी की तरफ जाने की सीढ़ी है। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। हम जिस पहलू की तरफ फोकस करेंगे हमारा जीवन वैसा ही होगा। बेहतर है हम सकारात्मक पहलू की तरफ ही फोकस करें।

5       जीवन में सबकुछ हमारे मुताबिक नहीं हो सकता। इस बात को जिसने जान लिया उसे कभी तकलीफ नहीं होती। इसके अलावा अत्यधिक अपेक्षा रखना भी अवसाद का कारण है। दूसरों से जितनी कम अपेक्षा रखेंगे तनाव उतना ही कम होगा।

6       अंत में यदि जीवन उलझनों से भरा हो तो सबसे पहले पेट साफ रखने का उपाय करें। यह बात अजीब लग सकती है लेकिन दोनों बाते जुड़ी हुई हैं। अवसादग्रस्त व्यक्ति प्रायः गैस या कब्ज का मरीज हो जाता है। इससे सिर में भारीपन लगता है। पेट साफ होते ही यह समस्या दूर हो जाती है।